fiza Tanvi

Add To collaction

आगाज़ ए ज़िन्दगी

हमें किसी से मोहब्बत कब और क्यों होती हैं...


दोस्तों दुनिया में सारे चेहरे एक जैसे हैं. सब की एक नाक दो कान दो ऑंखें और दो टांगे हैं. और सब मास के बने हुए हैं..
फिर हमे कोई इतना अच्छा क्यों लगने लगता हैं. के उस के बगैर एक सांस लेने का तसव्वुर भी नहीं कर सकते..

ये मोहब्बत सिर्फ उस एक सख्श से ही क्यों होती हैं. बाज़ दफा लोग कहते हैं. मोहब्बत खूबसूरती से होती हैं .

लेकिन दर हक़ीक़त ऐसा नहीं हैं.
मेरी नज़र में तो खूबसूरती से attraction हो सकता हैं.
मगर मोहब्बत नहीं.

 मोहब्बत करने से पहले या मोहब्बत होने से पहले एक शख्श मिलता हैं.

जिस को हम नहीं जानते.
जिस के बारे में हम नहीं जानते वो कौन हैं क्या हैं. कहा रहता हैं.
हमे कुछ पता नहीं होता..

जब मैंने पहली बार नुवैद की फोटो देखी थी. तब मुझे वो एक आम सी शकल ओ सूरत का शख्श लगा था.

जिस के बारे में मैं कुछ नहीं जानती थी. मेरा दिल उस के लिए कोरा कागज़ था. जिस पर कुछ भी नहीं लिखा था...

लेकिन वक़्त की ऐसी रेहनुमाई हुई के आज वो कोरा कागज़ रंगों से शादाब हो गया हैं..

Nuvaid की फोटो जब कल में देखती थी. तो  मुझे वो चेहरा अजनबी सा लगता था.

लेकिन आज उस से ज़ियादा अपना कोई लगता ही नहीं...

मोहब्बत शक्ल ओ सूरत की मोहताज नहीं होती.

Nuvaid मुझसे तब से मोहब्बत करते हैं. जब से उन्होने मेरे बारे में सुना था.

जब मैं उनकी मोहब्बत से अनजान थी. उन के लिए उस वक़्त मैं सब कुछ थी. जब वो मेरे लिए कुछ नहीं थे..

महज़ एक ऐसा लड़का जिस से मेरा रिश्ता हुआ था.अगर ये रिश्ता हो जाता तो भी अच्छा था. और नहीं होता तब भी बेहतर था...


लेकिन nuvaid के लिए ये सिर्फ एक रिश्ता नहीं उनका सब कुछ था.
उनकी सारी खुशियाँ. उनकी ज़िन्दगी
सब हमारी तरफ से इकरार की बुनियाद पर टिकी हुई थी...

लेकिन आज मैं खुद को उन से से ज़ियादा खुशसनसीब मानती हुँ.

हमारी मोहब्बत की कहानी बाहुत अटपटी सी हैं...

ना ये love marriage की category में आती हैं . और ना arrange....

बस इतना समझ लीजिये इन दोनों के बीच का मामला हैं....

अगर कोई मुझसे पूछे की तुम्हारे रिश्ते में सबसे पहले मोहब्बत किस के दिल में पैदा हुई थी..

तो मुझे ये कहने में बाहुत फखर महसूस होता हैं. के हमारे रिश्ते सबसे पहले मोहब्बत nuvaid के दिल में पैदा हुई थी....

और मुझे इस बात पर 100 percent यकीन हैं. जो मोहब्बत में पहल करता हैं.

वो ज़िदगी भर पहल करता रहेगा..
और रूह का सुकून बन कर हमेशा आपके इर्द गिर्द साये की तरह मौजूद रह कर अपने वजूद से आपको खुशियाँ देता रहेगा.....

कभी कभी पुराने लम्हो को दोहराते हुए और उन का तस्करा करते हुए. या उन को याद करते हुए बाहुत खुशी होती हैं.जैसे  किसी की कोई प्यारी चीज खो जाये और वो अचानक मिल जाये.वैसे ही बीते हुए लम्हो में में एक कशिश नुमाया होती हैं. जिन्हे याद कर के हम खुश हो जाते हैं...

वैसे ही हम भी अपने शुरू शुरू के दिन की बाते करने बैठ जाते हैं...

यकीन मानिये बाहुत खुशी होती हैं.
जैसे आज ही की बात हो...

मैं nuvaid से पूछती हुँ.
आपकी अम्मी को मुझ में क्या पसंद आया. मुझ में क्या अच्छा लगा..

वो कहते हैं. मेरी अम्मी को आपके चेहरे का भोलापन और आपकी hight अच्छी लगी.....
उन्होंने कहा जब अम्मी  पहली बार आपको देख कर आयी थी. तो बोली बेटा लड़की बहुत अच्छी हैं.
चेहरे पर मासूमियत और भोलापन हैं.


  मैं जब अल्लाह से नेक हमसफ़ की दुआ मांगती थी.
तो कहती थी. मुझे मेरे जैसा दिल वाला इंसान मिले...

मुझे अपनी सूरत से ज़ियादा दिल से प्यार हैं..


मेरा दिल बहुत अच्छा हैं..
ना गुब्ज़ ना कीना ना नफरत किसी के लिए कुछ भी नहीं हैं इस दिल में..

अगर कुछ हैं, तो वो ये हैं की मेरा वजूद दुसरो के लिए खुशी का वाईस बने....

मैंने अपने तजुर्बे से जाना हैं. मोहब्बत दो लोगो में तब पैदा होती हैं.

जब दोनो एक जैसी खुवाहिश रखते हैं. एक जैसी पसंद हो.

मुझे लोगो की मदद करना गरीबो को सहारा देना यतीमो की खिदमत करना बहुत पसंद हैं...

अगर मेरे पास दो रोटी हैं. तो मैं उस में से आधी रोटी से अपना पेट भर लुंगी और बाकि साइल को दे दूंगी....


मेरा दिल गरीबो और यतीम को देख कर रो पढता हैं..
काश मैं इन का सहारा बन पाती...

ये बेस्ट quality हैं मुझ में

और अल्लाह ने यही quality मेरे अल्लाह ने मेरे वाले के अंदर भी रख दी...और दोनों दिलो को निकाह के मुकदस कपडे में लपेट कर एक दूसरे को सौंप दिया.......

   16
0 Comments